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Bhartiya nyay sanhita 2023 pdf | भारतीय न्याय सहित 2023 पीडीएफ

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हेलो दोस्तो, इस आर्टिकल में हमने bhartiya nyay sanhita 2023 pdf के बारे में जानकारी बताई है। हाल ही में सांसद में न्याय सहिता के लिए बिल जारी किया गया है, जो हमारा पुराना bharatiya nyay sanhita था उसका नाम बदलने के लिए और कुछ नए बदलाव लाने की तैयारी में है। ये जो पुराना bhartiya nyay sanhita था वो हमे अंग्रेजो के द्वारा बनाया गया था। भविष्य में नए bhartiya nyay sanhita आयेगा, यह हमने जो हमारा अभी चल रहा है उसकी pdf दी है।

bhartiya nyay sanhita 2023 pdf

नामbhartiya nyay sanhita 2023 pdf
साइज 1 Mb
विषयन्याय संहिता
फॉर्मेट पीडीएफ
डाउनलोड Click here

bhartiya nyay sanhita 2023 pdf

भारतीय न्याय संहिता, जिसे भारतीय दंड संहिता (IPC) के नाम से भी जाना जाता है, भारत में अपराधों के लिए दंड का प्रावधान करने वाला कानून है. यह संहिता 1860 में ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित की गई थी और यह भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है.

भारतीय दंड संहिता में 23 भाग और 511 धाराएं हैं. यह संहिता अपराधों को दो वर्गों में विभाजित करती है: गैर-संज्ञेय अपराध और संज्ञेय अपराध. गैर-संज्ञेय अपराध वे अपराध हैं, जिनके लिए पुलिस बिना किसी वारंट के गिरफ्तारी नहीं कर सकती है. संज्ञेय अपराध वे अपराध हैं, जिनके लिए पुलिस बिना किसी वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है.

भारतीय दंड संहिता में अपराधों के लिए विभिन्न प्रकार की सजाएं हैं, जिनमें मृत्युदंड, आजीवन कारावास, कारावास, जुर्माना आदि शामिल हैं. भारतीय दंड संहिता में अपराधों के लिए सजा का निर्धारण अपराध की गंभीरता के आधार पर किया जाता है.

भारतीय दंड संहिता एक महत्वपूर्ण कानून है, जो भारत में अपराधों को नियंत्रित करने में मदद करता है. यह संहिता भारत के सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू होती है.

भारतीय दंड संहिता के इतिहास को निम्नलिखित चरणों में बांटा जा सकता है:

  • प्रारंभिक चरण (1860 से पहले): भारतीय दंड संहिता के पारित होने से पहले, भारत में अपराधों के लिए दंड का प्रावधान विभिन्न स्थानीय कानूनों द्वारा किया जाता था. इन कानूनों में अपराधों के लिए सजा के प्रावधान बहुत कठोर थे और वे सभी धर्मों और समुदायों के लोगों के लिए समान रूप से लागू नहीं होते थे.
  • प्रारंभिक चरण (1860 से 1947 तक): भारतीय दंड संहिता को 1860 में ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित किया गया था. यह संहिता भारतीय उपमहाद्वीप के सभी प्रांतों में लागू थी. भारतीय दंड संहिता में अपराधों के लिए दंड का प्रावधान अधिक उदार था और यह सभी धर्मों और समुदायों के लोगों के लिए समान रूप से लागू था.
  • स्वतंत्रता के बाद का चरण (1947 से वर्तमान तक): भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई. स्वतंत्रता के बाद, भारतीय दंड संहिता को भारत के संविधान के अनुरूप संशोधित किया गया था. भारतीय दंड संहिता में अपराधों के लिए सजा का प्रावधान और अधिक उदार किया गया था और यह सभी धर्मों और समुदायों के लोगों के लिए समान रूप से लागू किया गया था.

भारतीय दंड संहिता एक महत्वपूर्ण कानून है, जो भारत में अपराधों को नियंत्रित करने में मदद करता है. यह संहिता भारत के सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू होती है.

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