हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमितशाह जी द्वारा संसद में एक बिल को लेकर चर्चा हुई थी, इस बिल में नए बदलाव किए गई है जो न्याय संहिता के बारे में किए गए थे। उन्होंने (Bharatiya Nyaya Sanhita Bill 2023) बिल राजू किया था, जिसमे Ipc धारा 420, 302 और 144 जेसी धारा में काफी बदलाव किया है। भारतीय न्याय संहिता 2030 के नियम अभी भी विकास के अधीन हैं, लेकिन कुछ संभावित बदलावों पर विचार किया जा रहा है। ये बदलाव आपराधिक न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनाने के लिए किए जा रहे हैं।
भारतीय न्याय संहिता 2023 में क्या क्या बदलाव होंगे ?
अपराध | पुराने | नए 2023 |
देश के खिलाफ षड्यंत्र | धारा-121 | धारा-145 |
देश के खिलाफ गतिविधियां | धारा-121 A | धारा-146 |
राजद्रोह के कानून | धारा-124 A | धारा- 15 |
भीड़भाड़ या हंगामा | धारा – 144 | धारा – 187 |
धरना करना | धारा – 147,148,149 | नए सेक्शन |
निषेधाज्ञा के उल्लंघन | सेक्शन – 188 | नए सेक्शन |
धोका धडी | धारा – 420 | धारा -316 |
मानहानि | धारा- 499 | धारा- 354 |
हत्या | धारा- 302 | धारा- 102 |
निषेधाज्ञा के उल्लंघन | सेक्शन 188 | नए सेक्शन |
भारतीय न्याय संहिता 2023
भारतीय न्याय संहिता (IPC) ब्रिटिश भारत में 1860 में लागू हुई एक दंड संहिता है. यह संहिता भारत में लागू होने वाली सबसे पुरानी और सबसे महत्वपूर्ण दंड संहिता है. यह संहिता 23 अध्यायों में विभाजित है और इसमें 511 धाराएं शामिल हैं. IPC में मूल आपराधिक कानून शामिल है जबकि प्रक्रियात्मक कानून आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम, 1973 में निहित है.
IPC का निर्माण लॉर्ड मैकाले के नेतृत्व में एक विधि आयोग द्वारा किया गया था. लॉर्ड मैकाले एक अंग्रेज विधिवेत्ता थे, जिन्हें भारत में ब्रिटिश कानून को संहिताबद्ध करने का कार्य सौंपा गया था. उन्होंने IPC के निर्माण के लिए इंग्लैंड की दंड संहिता, स्कॉटलैंड की दंड संहिता और फ्रांस की दंड संहिता से प्रेरणा ली.
IPC को ब्रिटिश भारत में लागू किया गया था और बाद में भारत के स्वतंत्र होने के बाद भी इसे लागू रखा गया. हालांकि, भारतीय संविधान लागू होने के बाद से IPC में कई संशोधन किए गए हैं. इन संशोधनों के माध्यम से IPC को भारत के संविधान के अनुरूप बनाया गया है.
IPC भारत में लागू होने वाली सबसे महत्वपूर्ण दंड संहिता है. यह संहिता भारत में अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. यह संहिता भारत की न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण आधार है.
भारतीय न्याय संहिता की कुछ धाराएं
भारतीय दंड संहिता की 10 धाराएं, जो विगतवार हैं, इस प्रकार हैं:
- धारा 114: जो कोई जानबूझकर या लापरवाही से किसी ऐसे कार्य को करता है, जिससे यह अपेक्षित है कि उससे किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाएगी, तो वह हत्या के लिए दोषी माना जाएगा.
- धारा 120-B: जो कोई किसी गैरकानूनी षड्यंत्र में शामिल होता है, तो वह षड्यंत्र के लिए दोषी माना जाएगा.
- धारा 302: जो कोई किसी व्यक्ति की हत्या करता है, तो वह मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा.
- धारा 376: जो कोई किसी स्त्री के साथ बलात्कार करता है, तो वह मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा.
- धारा 304: जो कोई किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है, जबकि वह जानबूझकर या लापरवाही से ऐसा कार्य करता है, जिससे यह अपेक्षित है कि उससे उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाएगी, तो वह गैर-इरादतन हत्या के लिए दोषी माना जाएगा.
- धारा 323: जो कोई किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाता है, तो वह 3 साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा.
- धारा 380: जो कोई किसी व्यक्ति के मकान या अन्य संपत्ति से चोरी करता है, तो वह 7 साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा.
- धारा 392: जो कोई किसी व्यक्ति के मकान या अन्य संपत्ति से डकैती करता है, तो वह आजीवन कारावास या 10 साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा.
- धारा 404: जो कोई किसी व्यक्ति की संपत्ति को हड़पता है, तो वह आजीवन कारावास या 10 साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा.
- धारा 420: जो कोई किसी व्यक्ति को धोखा देता है, तो वह 7 साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा.
ये भारतीय दंड संहिता की कुछ प्रमुख धाराएं हैं, जो विगतवार हैं. इन धाराओं के तहत अपराध करने वाले व्यक्तियों को गंभीर दंड दिया जाता है.
Bharatiya Nyaya Sanhita 2023 PDF | Download Now |
Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita 2023 PDF | Download Now |
भारतीय न्याय संहिता 2023 PDF (Hindi) | Download Now |